Tuesday, September 3, 2013

जम कर रह गये हैं जो बादल!!.................दफैरून


जम कर रह गये हैं बादल
बरस नहीं रहे अभी
शायद, न भी बरसें


फिर भी अपने लत्तर-पत्तर उठा कर
भीतर तो रख ही लो


अपनी मीनारों पर लगे
तड़ित चालकों को जाँच-परख लो


जमकर रह गये हैं जो बादल
शायद, बरस भी सकते हैं


समुद्र का समुद्र भरा है इनमें
हजारों बोल्ट की भरी है बिजली।


--दफैरून

दफैरुन को छोटी छोटी चीजों का कवि कहा जा सकता है। 
अंकिचन में कितना कुछ छिपा है यह दफैरून की कविताओं में आकार लेता है। दफैरुन जितना सहज लिखते हैं , उतना सहज जीते हैं यही कारण है कि आपकी कविताओं में अजीब सी आत्मीयता दिखती है 
जो आज कस्बों तक में लुप्त होती जा रही है। 
संपर्कः 48 , मोहन गिरि, विदिशा, मध्य प्रदेश -464001

2 comments:

  1. शुभप्रभात छोटी बहना
    समुद्र का समुद्र भरा है इनमें
    हजारों बोल्ट की भरी है बिजली।
    बिल्कुल सच्ची बात
    बिहार में ला दी है बर्बादी
    हार्दिक शुभकामनायें

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