Showing posts with label रुजुला शर्मा. Show all posts
Showing posts with label रुजुला शर्मा. Show all posts

Monday, September 25, 2017

ज़िंदगी है प्रकृति .....रुजुला शर्मा


हर जीव की ज़िंदगी है प्रकृति 
एक प्यारी डोर है प्रकृति
ये डोर कहीं टूट ना जाए
ये अनर्थ कभी होने ना पाये

कभी ज़िंदगी संवारने का 
तो कभी बिगाड़ने का
कभी फूलों को महकाने का
तो कभी भूकंप से डराने का

हमने तेरे हर रूप को है देखा
और बस यही है सीखा
तेरा हर रूप निराला है
तू ही हमारी ज़िंदगी का सहारा है

- रुजुला शर्मा