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Monday, May 8, 2017

रिश्ता...ओम नागर










मनुष्य ने
जब -जब भी काटी
जंगल की देह

तब -तब
जीना हुआ दूभर

ज्यों रेगिस्तान
पसर गया
साँसों की संभावनाओं पर।
-ओम नागर

Sunday, May 7, 2017

ठूँठ होना...ओम नागर















ठूँठ  होना
आसान नहीं होता

सतत् दोहन से
गुजरना होता है पेड़ को
ठूँठ होने के लिए

ठूँठ होने के लिए भी
चाहिए होती हैं
जीवन के प्रति आस्था

ठूँठ भी कई बार होता हैं
बसंत के आगमन पर
हरा -भरा।
3-ए-26, महावीर नगर तृतीय, कोटा - 324005(राज.)
मोबाइल-9460677638
E-mail-omnagaretv@gmail.com