Thursday, September 5, 2013

पिसती चक्की थी? या मां?..................दिविक रमेश



रोज सुबह मुंह अंधेरे
दूध बिलोने से पहले
मां चक्की पीसती
और मैं आराम से सोता
तारीफों में बंधी
मां
जिसे मैंने कभी सोते
नहीं देखा
आज जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है
पिसती चक्की थी?
या मां?
-दिविक रमेश

9 comments:

  1. Pisti to maa hai ... Vo bhi apne bachon ke liye ...
    Bhavpoorn rachnaa ...

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  2. बहुत गंभीर प्रश्न है ...उत्तर भी कोई तिलिस्म नहीं
    पिसती तो माँ ही थी
    ....आपकी सोच की गहराई को नमन

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  3. आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 06.09.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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  4. भावुक,मन को नम करती माँ की सच्ची अनुभूति
    बहुत सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    "ज्योति"


    आग्रह है यहां भी पधारें
    कब तलक बैठें---

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

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  6. दिल को छूती हुई रचना .. बधाई

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  7. हार्दिक आभार। --दिविक रमेश

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