Thursday, September 26, 2013

याद मेरी है वहां, गुजरी बहारों की तरह..........फ़ातिमा हसन



चांदनी रात में कुछ फीके सितारों की तरह,
याद मेरी है वहां, गुजरी बहारों की तरह..

जज़्ब होती रही हर बूंद मिरी आँखों में
बात करता रहा वो हलकी फुवारों की तरह..

ये बियावां सही तन्हां तो कुछ भी नहीं
दूर तक फैले हैं साये भी चिनारों की तरह..

बात बस इतनी है इस मोड़ पे रस्ता बदला
दो क़दम साथ चला वो भी हजारों की तरह..

कोई ताबीर नहीं कोई कहानी भी नहीं
मैंनें तो ख्वाब भी देखें हैं नज़ारों की तरह

बादबां खोले जो मैंने तो हवाएँ पलटीं
दूर होता गया इक शख़्स कनारों की तरह

फ़ातिमा तेरी ख़ामोशी को भी समझा है कभी
वो जो कहता रहा हर बात इशारों की तरह..

-फ़ातिमा हसन


2 comments:

  1. बेहतरीन एक से बढ़ कर एक शेर, उम्दा ख्याल.. बहुत खूब , मेरी दाद क़ुबूल करें ..

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