खद्दरधरी पट्ठा, जन-जन के अब तोड़ें गट्टा
बापू के भारत में कट्टा देख सियासत में।
तेरे पास न कुटिया, तन पर मैली-फटी लँगुटिया
नेताजी का ऊंचा अट्टा देख सियासत में।
तेरी मुस्कानों पर, रंगीं ख्वाबों-अरमानों पर
बाजों जैसा रोज झपट्टा देख सियासत में।
खुशहाली के वादे, तूने भाँपे नहीं इरादे
वोट पाने के बाद सिंगट्टा देख सियासत में।
-रमेशराज
|| लोक- शैली ‘रसिया’ पर आधारित तेवरी ||