उसकी आंखों में झील हो जैसे
प्यास ? मुद्दत क़लील हो जैसे
ढूंढना उसको…कोई अंत नहीं
एक सहरा तवील हो जैसे
उसको देखा तो हो गये पत्थर
पांव रखना भी मील हो जैसे
सांस लेने में जान जाती है
कोई इतना अलील हो जैसे
फ़ैसला उसके हक़ में होना था
उसका चेहरा दलील हो जैसे
धूप की सब अदालतों के लिए
चांद मेरा वक़ील हो जैसे
उतर आया सलीब से लेकिन
अब तो सब दिल ही कील हो जैसे
ख़ूब दौड़ा कहीं नहीं पहुंचा
दिल-हिरन ही में ढील हो जैसे
उस तक आवाज़ जा नहीं पाती
दरमियां इक फ़सील हो जैसे
डर गया मुश्किलों से इतना मैं
छोटी चिड़िया भी चील हो जैसे
ख़ाब के खो चुके जज़ीरों की
याद ही संगे-मील हो जैसे
-नवनीत शर्मा 09418040160
http://wp.me/p2hxFs-1Oq
प्यास ? मुद्दत क़लील हो जैसे
ढूंढना उसको…कोई अंत नहीं
एक सहरा तवील हो जैसे
उसको देखा तो हो गये पत्थर
पांव रखना भी मील हो जैसे
सांस लेने में जान जाती है
कोई इतना अलील हो जैसे
फ़ैसला उसके हक़ में होना था
उसका चेहरा दलील हो जैसे
धूप की सब अदालतों के लिए
चांद मेरा वक़ील हो जैसे
उतर आया सलीब से लेकिन
अब तो सब दिल ही कील हो जैसे
ख़ूब दौड़ा कहीं नहीं पहुंचा
दिल-हिरन ही में ढील हो जैसे
उस तक आवाज़ जा नहीं पाती
दरमियां इक फ़सील हो जैसे
डर गया मुश्किलों से इतना मैं
छोटी चिड़िया भी चील हो जैसे
ख़ाब के खो चुके जज़ीरों की
याद ही संगे-मील हो जैसे
-नवनीत शर्मा 09418040160
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