Showing posts with label पावनी दीक्षित "जानिब". Show all posts
Showing posts with label पावनी दीक्षित "जानिब". Show all posts

Wednesday, August 5, 2020

उनके गम तो मिले हैं ...पावनी दीक्षित "जानिब"

तू है आसमा और मैं हूं ज़मीं
तेरा मेरा मिलन होना मुश्किल है।

मैं सागर किनारे पड़ी रेत हूं
मेरी किस्मत में ना कोई साहिल है।

क्यों इल्जाम दें जहां में किसीको
मेरा दिल ही मेरे दिल का कातिल है।

वो ना सही उनके गम तो मिले हैं
उनकी यादों का हक हमको हासिल है।

तेरे दर पे हम फूल लाए थे लेकिन
सुना यह अमीरों की महफिल है।

बहुत दर्द जानिब हुआ हाथ छूटा
के जुदा आज से अपनी मंजिल है।

-पावनी दीक्षित "जानिब" 
सीतापुर

Friday, January 19, 2018

कोशिशें मिट गईं दर्द मिटता नहीं....पावनी दीक्षित "जानिब"


आप की बात दिल पर असर कर गई 
हां लड़खड़ाई जुबां आंख भी भर गई।

कब कहां आपने हमको अपना कहा
कब कहां आपने हांथ थामा मेंरा
एक तरफा मोहब्बत तडपती रही
बस मैं ज़िंदा रही ज़िंदगी मर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
हां लड़खड़ाई जुबां आंख भी भर गई।

दिल में कांटे चुभे ज़ख़्म दिखता नही
कोशिशें मिट गईं दर्द मिटता नहीं
अब ये जाना के चाहत बुरी चीज़ है
ज़िंदगी मौत से बेख़बर कर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
लड़खड़ाए कदम आंख भी भर गई।

किसी उम्मीद से न मिला तू नज़र 
अब जुदा है हमारा तुम्हारा सफ़र
दर्द चाहत में मिलना तो दस्तूर है
आह दिल की ये जानिब खबर कर गई।

आप की बात दिल पर असर कर गई 
लड़खड़ाए कदम आंख भी भर गई।

पावनी दीक्षित "जानिब" 
सीतापुर