मुस्कुराता हुआ ख़्वाब है आँखों में
महकता हुआ गुलाब है आँखों में
बूँद-बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब है आँखों में
उनकी बातें,उनका ही ख़्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में
जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
छलकता दरिया-ए-आब है आँखों में
लम्हा-लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
ख़ुमारियों का सैलाब है आँखों में
लफ़्जों की सीढ़ी से दिल में दाख़िल
अनकहे सवालों के जवाब है आँखों में
#श्वेता