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Thursday, July 12, 2018

उड़ान...सोना झा

लो सहारा उस पवन के वेग का
निस्तेज़ और अदृश्य है जो धरा पर,
बना दी पगडंडियाँ हैं प्रकृति ने
स्मरण करो स्वयं के अस्तित्व का। 

बनाकर पंख उसको 
उड़ चलो गगन में,
वो है प्रतीक्षा में तुम्हारी।

उत्तेजना के लहर से,
विस्मरण करो हर प्रतिबंध का
बस तुम हो,
ये जगत है तुम्हारा
ये जगत है तुम्हारा।
-सोना झा
कवि परिचय