सच कहने पर कहाँ भलाई होती है,
और झूठों के हाथ मलाई होती है।
अच्छा माल कमीशन में पिट जाता है,
घटिया की जमकर सप्लाई होती है।
सारे नियम शिथिल होकर रह जाते हैं,
जब दबंग की जेल मिलाई होती है।
बारूदों से उनकी यारी ठीक नहीं,
हाथ में जिनके दियासलाई होती है।
खोटे सिक्के वहीँ चलन में आते हैं,
सरकारों की जहाँ ढिलाई होती है।
सीवन गर उघड़े तो फिर सिल जाती है,
उखड़े मन की कहाँ सिलाई होती है।
-राकेश कुमार श्रीवास्तव
कादम्बिनी से