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Thursday, January 11, 2018

अलाव....प्रतिमा भारती


हर तरह कर ली कोशिश
कि गुज़र जाए रात......
फिर भी ज़रूरत पड़ ही गयी
बुझती यादों के सायों की।
इन्हीं को जला के अलाव
की कोशिश
कुछ गरमाहट दें एहसासों को
कि नई किरण के साथ 
जग जाएँ रिश्ते ....
नई सुबह के लिए।।

-प्रतिमा भारती

Tuesday, January 9, 2018

कुछ क्षणिकाएँ.....प्रतिमा भारती

सोंधी खुशबू
......................
शब्द गुमसुम हों तो क्या...।
हँसी की धूप दिखाओ ...
जितनी भी ...।
दर्द बरसेगा जब भी
मन के आँगन में...
हवा में होगी
उसकी सोंधी खुशबू...।।

नियति
.........................
जानती हूँ 
पहचानती भी हूँ
’नियति’
फिर भी ...

शब्दों का लबादा ओढ़े
वह...।
जल्लाद सी नज़र आती है ।।

दिल की बातें
..............................
आओ बैठें
कुछ अधलेटे कुछ उन्नीदे से
दिल की हरी नर्म ज़मीन पर....
सहलाएँ...नोचें...बिखराएँ ...फैलाएँ और उड़ाएँ
भावनाओं और संवेदनाओं की दूब...
बातें करें कुछ बिखरी बिखरी फैली बेतरतीब सी...
वैसी ही जैसी होती हैं बातें....
दिल से दिल के करीब की.....

बहाना
................................
मत कुरेदो ...
बहुत कुछ होगा अनावृत ...
बहुत कुछ ऐसा 
जो है
अनपेक्षित... , असहनीय..., अशोभनीय ...,
है मेरे भी भीतर
क्योंकि 
मेरे पास भी 
है बहाना 
इंसान होने का ।।
-प्रतिमा भारती