उठते ही घर ठीक करेगी
माँ फिर बिस्तर ठीक करेगी
चावल हमें खिला देने को
कंकड़ पत्थर ठीक करेगी
गिन के सिक्के चार दफ़ा में
फिर ख़ुद छप्पर ठीक करेगी
धुंआ धुंआ इस घर को कर के
कितने मच्छर ठीक करेगी
इस ज़िद पे हैं काहिल बेटे
माँ ही खण्डहर ठीक करेगी
सबने छोड़ दिए हैं कपडे
माँ है नौकर ठीक करेगी
नहीं वो देगी गन्दा रहने
लेकर पेपर ठीक करेगी
हमें पता है इन तिनकों से
नाक का बेसर ठीक करेगी
देहरी पर भी जाना हो तो
सर का आंचर ठीक करेगी
हो जितना दुःख फिर भी माँ तो
तुलसी खाकर ठीक करेगी
- डॉ. जियाउर रहमान जाफ़री