Sunday, September 8, 2013

रानी तक गर है राजा की, राजा तक रानी की हद....डॉ. कुंवर बेचैन



आंधी तक है तेज हवा की, बाढ़ों तक पानी की हद
पर राजाओं ने कब तय की, अपनी मनमानी की हद

मेहमानों का आदर करना,अच्छा है लेकिन यारों
मेहमां घर को ही ले बैठे. ये है मेहमानी की हद

याचक जो भी चाहे, उसके क्या वो ही दे देंगे हम
दानी से कहियेगा, कुछ तो होती है दानी की हद

सैलानी बनकर आए हो, क्या तुमको मालूम नहीं
औरों के घर में होती है, कुछ तो सैलानी की हद

ये तो है अन्याय, कि महलों को तो पूरी छूट मिले
और इधर तय कर दी जाए, हर छप्पर-छानी की हद

उत्तर में वो यह कह देंगे, अपनी सीमा कोई नहीं
परधानों से पूछ के देखो, उनकी परधानी की हद

उसके आगे खुशियां भी होंगी, मुझके मालूम नहीं
बस यह जाना, चिंता तक है, मेरी पेशानी की हद

हम तो अन्न उगाकर भी भूखे हैं, अब तुम बतलाओ
कुछ तो होगी, यार तुम्हारी भी तो हैरानी की हद

उसके बाद तो, कड़वाहट ही कड़वाहट है जीवन में
शायद बचपन तक ही है, ये मीठी गुड़धानी की हद

उसके राज में, जनता तो भूखी-प्यासी मरनी ही है
रानी तक गर है राजा की, राजा तक रानी की हद

डॉ. कुंवर बेचैन
जन्मः 01 जुलाई 1942, मुरादाबाद उ.प्र.
सौजन्यः रसरंग, दैनिक भास्कर

4 comments:

  1. बहुत ख़ूब बेचैन जी," हदें हदों को तोड़ रहीं हैं, हदों की मनमानी तो देखो
    तोड़ हदों को आग लगाएँ इनकी शैतानी तो देखो
    संसद से ले राजघाट तक फैली बेइमानी तो देखो
    कहाँ का राजा कहाँ की रानी मंत्री जी की बेइमानी तो देखो

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी लेखक मंच पर आप को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपके लिए यह हिंदी लेखक मंच तैयार है। हम आपका सह्य दिल से स्वागत करते है। कृपया आप भी पधारें, आपका योगदान हमारे लिए "अमोल" होगा | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा |

    मैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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