दंगो में चमचे ,
चिमटे भी हथियार हो गये
भीड़ जहाँ देखी..
.... उसके तरफदार हो गये !
शोहरतमंदों का ग्राफ.....
नीचे गिरा
तो कब्र बन गये
और उँचा हुआ तो..
गर्दने ऐंठ गयी
कुतुब मीनार हो गये !
अजब रोग है ...
इन खूब अमीर
मगर गुनाहगार लोगों का
मुक़दमे की........
हर तारीख पे ........
बीमार हो गये !
सियासत गंभीर मुद्दा
..... या अँग्रेज़ी वाला “फन “
क़व्वाली-ए-चुनाव में........
बेसुरे भी
फनकार हो गये !
बचपन में........
माँ जब स्कूल भेजती थी
बालों में तेल चुपड़ कर..
कंघी की... और ह्म तैयार हो गये !
-गौतम कुमार “सागर”