मैं ख़्वाब हूँ मुझे ख़्वाब में ही प्यार कर
पलकों की दुनिया में जी भर दीदार कर
न देख मेरे दर्द ऐसे बेपर्दा हो जाऊँगी
न गिन जख़्म दिल के,रहम मेरे यार कर
बेअदब सही वो क़द्रदान है आपके
न तंज की सान पर लफ़्ज़ों को धार कर
और कितनी दूर जाने आख़िरी मुक़ाम है
छोड़ दे न साँस साथ कंटकों से हार कर
चूस कर लहू बदन से कहते हो बीमार हूँ
ज़िंदा ख़ुद को कहते हो,ज़मीर अपने मारकर
-श्वेता सिन्हा