न तो किरदार है कोई न राजा है न रानी है
मैं इक कोरा-सा कागज हूँ अजब मेरी कहनी है
मुहब्बत करने वाले,प्यार को दिल में रखे रखना
ख़ुदा ने जो हमे बख़्शी है ये ऐसी निशानी है
जो दिन में चांद बनकर चांदनी देती रही मुझको
मुहब्बत, तेरी खुशबू, चांदनी है, जाफरानी है
घिरी है अब भी लपटों में, दिखाई कुछ नहीं देता
ये मेरी जिन्दगी है या धुंएँ की राजधानी है
शुरू से अंत तक कहती रही दुनियां में रहने दो
मगर कब मौत ने इस जिन्दगी की बात मानी है
नहीं तो कुछ दिनों में वो भी रेगिस्तान बन जाती
ये अच्छा ही हुआ अब तक मेरी आँखों में पानी है
अभी कर जिसके मैंनें अपनी आँखो से नहीं देखा
' कुंवर' मैंनें उसी के साथ मर-मिटने की ठानी है
-डॉ. कुंवर बेचैन
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ReplyDeleteमैं रह गया अकेला ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः003