बचपन कब बीता बोलो
हँस पड़ा आईना ये कहकर,
काले गेसुओं ने निहारा ख़ुद को
चांदी के तारों से लिपटाया ख़ुद को !
चांदी के तारों ने पूछा
माथे की शिकन से हंसकर,
किसका रस्ता अगोरा तुमने ?
क्या ज़िन्दगी को हँसकर जीया तुमने ?
ज़िन्दगी ने कहा सुनो जी
हँसने की बारी आयी थी पलभर,
फिर दिन महीना और बीते साल
समय भागता रहा यूँ हीं बेलगाम !
समय ने कहा फिर
ज़रा हौले ज़रा तमक कर,
नहीं हौसला तो फिर छोड़ो जीना
'शब' का नहीं कोई साथी रहेगी तन्हा !
'शब' ने समझाया ख़ुद को
अपने आँसू ख़ुद पोछ फिर हँसकर,
बेरहम तकदीर ने भटकाया दर ब दर
अच्छा है लम्बी उम्र कटी अब बीता सफ़र !
-डॉ. जेन्नी शबनम
हँस पड़ा आईना ये कहकर,
काले गेसुओं ने निहारा ख़ुद को
चांदी के तारों से लिपटाया ख़ुद को !
चांदी के तारों ने पूछा
माथे की शिकन से हंसकर,
किसका रस्ता अगोरा तुमने ?
क्या ज़िन्दगी को हँसकर जीया तुमने ?
ज़िन्दगी ने कहा सुनो जी
हँसने की बारी आयी थी पलभर,
फिर दिन महीना और बीते साल
समय भागता रहा यूँ हीं बेलगाम !
समय ने कहा फिर
ज़रा हौले ज़रा तमक कर,
नहीं हौसला तो फिर छोड़ो जीना
'शब' का नहीं कोई साथी रहेगी तन्हा !
'शब' ने समझाया ख़ुद को
अपने आँसू ख़ुद पोछ फिर हँसकर,
बेरहम तकदीर ने भटकाया दर ब दर
अच्छा है लम्बी उम्र कटी अब बीता सफ़र !
-डॉ. जेन्नी शबनम
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
ReplyDeleteवाह !जिंदगी के बदलती करवट का सुन्दर आंकलन
latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
ReplyDeleteVery well written.
ReplyDeleteVinnie
सुंदर सृजन !
ReplyDeleteमै हमेशा डा.जेन्नी शबनम जी की रचनाए को पढता हूँ !!!
RECENT POST : बिखरे स्वर.
सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर सुन्दर सुन्दर
ReplyDeleteGreat Thanks for sharing this valuable information.I have a blog about Love Shayari and Hindi Shayari
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