Friday, September 13, 2013

बचपन.................डॉ. जेन्नी शबनम


बचपन कब बीता बोलो
हँस पड़ा आईना ये कहकर,
काले गेसुओं ने निहारा ख़ुद को
चांदी के तारों से लिपटाया ख़ुद को !

चांदी के तारों ने पूछा
माथे की शिकन से हंसकर,
किसका रस्ता अगोरा तुमने ?
क्या ज़िन्दगी को हँसकर जीया तुमने ?

ज़िन्दगी ने कहा सुनो जी
हँसने की बारी आयी थी पलभर,
फिर दिन महीना और बीते साल
समय भागता रहा यूँ हीं बेलगाम !

समय ने कहा फिर
ज़रा हौले ज़रा तमक कर,
नहीं हौसला तो फिर छोड़ो जीना
'शब' का नहीं कोई साथी रहेगी तन्हा !

'शब' ने समझाया ख़ुद को
अपने आँसू ख़ुद पोछ फिर हँसकर,
बेरहम तकदीर ने भटकाया दर ब दर
अच्छा है लम्बी उम्र कटी अब बीता सफ़र !

-डॉ. जेन्नी शबनम

9 comments:


  1. वाह !जिंदगी के बदलती करवट का सुन्दर आंकलन
    latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)

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  2. सुंदर सृजन !
    मै हमेशा डा.जेन्नी शबनम जी की रचनाए को पढता हूँ !!!

    RECENT POST : बिखरे स्वर.

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  3. सुन्दर रचना

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  4. सुन्दर सुन्दर सुन्दर

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  5. Great Thanks for sharing this valuable information.I have a blog about Love Shayari and Hindi Shayari

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