
मुहब्बत क्या हुई जैसे इबादत होती जाती है|
कि सजदे में झुकने की आदत होती जाती है||
चलाओ तीर कितने भी सितम चाहे करो जितने|
जो उल्फत हो गई इक बार तो बस होती जाती है ||
वृहद सरिता प्रेम मेरा लहर सा इश्क़ है तेरा|
जो उतरोगे तले इसके कयामत होती जाती है||
मैं मुजरिम हूँ करो पेशी मेरी इश्क़ ए अयानत में|
किया है जुर्म उल्फत का ये तोहमत होती जाती है||
मुहब्बत नाम है "अँजू" शिद्दत का, वफाओं का|
चले जो इस डगर मरने की चाहत होती जाती है||
-अँजू डोकानिया