Showing posts with label रुत भीगी सी...अनुपमा अनुश्री. Show all posts
Showing posts with label रुत भीगी सी...अनुपमा अनुश्री. Show all posts

Tuesday, July 26, 2022

रुत भीगी सी...अनुपमा अनुश्री


निमिष मात्र में
गगन घट
छलक गए
बिखरे
हल्के रंग
अबीर से सृष्टि के/
सबसे सुखद
जश्न की बारी है।
घन के साथ
घनिष्ठ
बौराई-सी आम्र बौर
झूमकर
फल उठी/
पंछियों के घरौंदे
कुछ और/
घने बस गए
तरुवर की शाखों पर।

लहकी/महकी सी लताएं
लिपट-लिपट
झूम-झूम
देने लगी थाप
बूंदो की ताल पर/
रंगीन कहानियां
बनने लगी
मौसम के राग पर/
नवोन्मेष
पल-पल में
पात-पात पर
-अनुपमा अनुश्री
रसरंग से