Showing posts with label असुविधा. Show all posts
Showing posts with label असुविधा. Show all posts

Monday, March 12, 2018

चीखो, बस चीखो..... स्मिता सिन्हा

चीखो 
कि हर कोई चीख रहा है 
चीखो 
कि मौन मर रहा है 
चीखो 
कि अब कोई और विकल्प नहीं 
चीखो 
कि अब चीख ही मुखरित है यहाँ 
चीखो 
कि सब बहरे हैं 
चीखो 
कि चीखना ही सही है 
चीखो 
बस चीखो 
लेकिन कुछ ऐसे 
कि तुम्हारी चीख ही 
हो अंतिम 
इतने शोर में

-स्मिता सिन्हा 

प्राप्ति स्त्रोतः