तुम्हें याद है वो दिन
जब हम आखिरी बार मिले थे
फिर कभी ना मिलने के लिए।
तुम्हें क्या महसूस हुआ
ये तो नहीं जानती
पर जुदाई के आखिरी पलों में
मैं बिल्कुल हैरान थी।
कुछ ऐसा लग रहा था जैसे
अलग कर दिया है मेरी रूह को
मेरे ही जिस्म से
दिल काँप रहा था मेरा
इस अनचाही विदाई की रस्म से।
एक अनजाने से खौफ ने
जकड़ लिया था मुझे
और तेरे आँखों से ओझल होने के बाद भी
अपलक देखती रही मैं बस तुझे।
- मोनिका जैन 'पंछी'
जब हम आखिरी बार मिले थे
फिर कभी ना मिलने के लिए।
तुम्हें क्या महसूस हुआ
ये तो नहीं जानती
पर जुदाई के आखिरी पलों में
मैं बिल्कुल हैरान थी।
कुछ ऐसा लग रहा था जैसे
अलग कर दिया है मेरी रूह को
मेरे ही जिस्म से
दिल काँप रहा था मेरा
इस अनचाही विदाई की रस्म से।
एक अनजाने से खौफ ने
जकड़ लिया था मुझे
और तेरे आँखों से ओझल होने के बाद भी
अपलक देखती रही मैं बस तुझे।
- मोनिका जैन 'पंछी'