Showing posts with label तृष्णा. Show all posts
Showing posts with label तृष्णा. Show all posts

Thursday, September 20, 2018

तृष्णा से मर जाएगा....मधु गुप्ता

बिन पानी के जीवन तेरा 
तृष्णा से मर जाएगा 
बोलो मानव फिर तुझको 
ईश्वर कौन बचेगा ?
शुष्क धरा और सूखा अंबर 
बूंद न टपकाइएगा 
जल जल के जीवन तेरा 
त्राहि त्राहि मचाएगा 
गोधूलि की भोर बेला 
सूखा सूरज रह जाएगा 
किनारों पर लिखने कविता 
तट कहाँ से लाएगा 
दूषित गंगा जल से कैसे 
तू भगवान नहलाएगा 
जो तूने सुंदर धरती देखी
क्या बच्चों को दिखलाएगा ?
बोलो मानव उनकी प्यास 
कैसे तू बुझाएगा ?
जब पूछेंगे नदियां क्या है 
उनको क्या बतलाएगा ?
जो तुम आज बचालो इसको 
कल सुंदर हो जाएगा 
कल कल का संगीत मधुर 
कानो में घुल जायगा
जीवन देता हर पौधा
धरती पर लहराएगा 
धरती का हर एक कोना 
फिर सुंदर हो जाएगा....
-मधु गुप्ता