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Thursday, September 19, 2019

मंजिल का ख़्वाब...आतिफ़ सिराज

उठो कि रात गई दिन निकलने वाला है
वो देखो रात के दामन तले उजाला है

हमारे साथ रहो क्योंकि हमने मंजिल का
हर एक ख़्वाब बड़ी मेहनतों से पाला है

हमारे चारों तरफ हौसले ही रहते हैं
जैसे चांद के चारों तरफ हाला है

हमारे बारे में कहते हैं राह के पत्थर
न आना राह में उसकी की ये जियाला है

हज़ार बार डराने को आई रातें और 
हमनें डर को हर इक बार मार डाला है।
-आतिफ़ सिराज