सब्ज़ रातों पे सियाह रात उतर आई है
एक तस्वीर अंधेरे से उभर आई है.
चाँद जब भी मिरे आंगन में उगा ऐसा लगा
उसकी आँखों की कशिश और निखर आई है.
जाने क्या कह गया दरिया में उतरता सूरज
दूर तक हंसती हुई लहर नज़र आई है..
एक मानूसन सी खुशबू है मगर वो तो नहीं
उससे मिल कर ये हवा मेरे नगर आई है..
मानूसनः जानी-पहचानी
- फ़ातिमा हसन
सैयदा अनीस फातिमा....( फ़ातिमा हसन )
जन्मः 25, दिसम्बर, 1953, करांची, पाकिस्तान
क्या बात है। वाह
ReplyDeleteलाजवाब गज़ल ... सभी शेर नायाब ...
ReplyDeleteजाने क्या कह गया दरिया में उतरता सूरज
ReplyDeleteदूर तक हंसती हुई लहर नज़र आई है..
....waah..umda