Tuesday, September 17, 2013

एक तस्वीर अंधेरे से उभर आई है..............फ़ातिमा हसन



सब्ज़ रातों पे सियाह रात उतर आई है
एक तस्वीर अंधेरे से उभर आई है.

चाँद जब भी मिरे आंगन में उगा ऐसा लगा
उसकी आँखों की कशिश और निखर आई है.

जाने क्या कह गया दरिया में उतरता सूरज
दूर तक हंसती हुई लहर नज़र आई है..

एक मानूसन सी खुशबू है मगर वो तो नहीं
उससे मिल कर ये हवा मेरे नगर आई है..

मानूसनः जानी-पहचानी

- फ़ातिमा हसन


सैयदा अनीस फातिमा....( फ़ातिमा हसन )
जन्मः 25, दिसम्बर, 1953, करांची, पाकिस्तान  

3 comments:

  1. लाजवाब गज़ल ... सभी शेर नायाब ...

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  2. जाने क्या कह गया दरिया में उतरता सूरज
    दूर तक हंसती हुई लहर नज़र आई है..
    ....waah..umda

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