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Tuesday, November 13, 2018

सामने कारनामे जो आने लगे - अर्पित शर्मा "अर्पित"

सामने कारनामे जो आने लगे,
आईना लोग मुझको दिखाने लगे |

जो समय पर ये बच्चे ना आने लगे, 
अपने माँ बाप का दिल दुखाने लगे |

फ़ैसला लौट जाने का तुम छोड़ दो, 
फूल आँगन के आँसू बहाने लगे |

फिर शबे हिज़्र आँसूं मेरी आँख के, 
मुझको मेरी कहानी सुनाने लगे |

आईने से भी रहते है वो दूर अब,
जाने क्यू खुदको इतना छुपाने लगे |

कोई शिकवा नही बेरुखी तो नही,
हम अभी आये है आप जाने लगे |

तेरी चाहत लिए घर से अर्पित चला, 
सारे मंज़र नज़र को सुहाने लगे 
- अर्पित शर्मा "अर्पित"

परिचय
अर्पित शर्मा जी अर्पित उपनाम से रचनाये लिखते है आपके पिता का नाम कृष्णकांत शर्मा है | 
आपका जन्म मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में 
28 अप्रैल, 1992 को हुआ | फिलहाल आप 
शाजापुर में रहते है | आपसे इस मेल sharmaarpit28@gmail.com 
पर संपर्क किया जा सकता है |