संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, ये सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।
- मृणालिनी घुले
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी ... मृणालिनी जी, सच लिखा है आपने कि हिंदी ही राष्ट्र के माथे की बिंदी है .. ह्रदय को छू लेने वाली प्रस्तुति !
ReplyDeletesacchi bat pakki bat sahmat hoon ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी ..सच कहा..राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छा लिखा है। इसीलिए गायत्री मंत्र के सबसे ज़्यादा अनुवाद हिंदी में ही हैं, शायद। देखिए-
ReplyDeletehttp://vedquran.blogspot.in/2012/03/3-mystery-of-gayatri-mantra-3.html
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteक्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteबहुत सुंदर. राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी.
ReplyDelete“अजेय-असीम” -
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लेखन ,
हिंदी ही हैं ,जो सबको एक सूत्र में बाधती हैं |
बहुत खूब...हिंदी दिवस की अग्रिम बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteसुन्दर रचना . हिंदी दिवस की बधाई
ReplyDeleteसुन्दर भाव सुन्दर अर्थ। सौदेश्य लेखन।
ReplyDeleteपहर वसन अंगरेजिया ,हिंदी करे विलाप ,
ReplyDeleteअब अंग्रेजी सिमरनी जपिए प्रभुजी आप।
पहर वसन अंगरेजिया उछले हिंदी गात ,
नांच बलिए नांच ,देदे सबकू मात।
अब अंग्रेजी हो गया हिंदी का सब गात ,
अपनी हद कू भूलता देखो मानुस जात।
सुन्दर भाव सुन्दर अर्थ। सौदेश्य लेखन।