मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Monday, September 2, 2013
आस्था.....................धर्मवीर भारती
रात
पर मैं जी रहा हूं निडर
जैसे कमल
जैसे पंथ
जैसे सूर्य
क्योंकि
कल भी हम मिलेंगे
हम चलेंगे
हम उगेंगे
और
वे सब साथ होंगे
आज जिनको रात ने भटका दिया है!
-धर्मवीर भारती
3 comments:
Aparna Bose
September 2, 2013 at 4:57 PM
is post ke liye dhanyavad
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ashokkhachar56@gmail.com
September 2, 2013 at 8:36 PM
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
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दिगम्बर नासवा
September 3, 2013 at 1:07 PM
कुछ ही शब्दों में गहरा जीवन दर्शन ...
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is post ke liye dhanyavad
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ....!!
ReplyDeleteकुछ ही शब्दों में गहरा जीवन दर्शन ...
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