Tuesday, January 8, 2019

एकांत के इस उत्सव में...श्वेता सिन्हा

साँझ को नभ के दालान से
पहाड़ी के कोहान पर फिसलकर
क्षितिज की बाहों में समाता सिंदुरिया सूरज,
किरणों के गुलाबी गुच्छे
टकटकी बाँधें खड़े पेड़ों के पीछे उलझकर
बिखरकर पत्तों पर
अनायास ही गुम हो जाते हैंं,
गगन के स्लेटी कोने से उतरकर
मन में धीरे-धीरे समाता विराट मौन
अपनी धड़कन की पदचाप सुनकर चिंहुकती
अपनी पलकों के झपकने के लय में गुम
महसूस करती हूँ एकांत का संगीत
चुपके से नयनों को ढापती
स्मृतियों की उंगली थामे
मैं स्वयं स्मृति हो जाती हूँ
एक पल स्वच्छंद हो 
निर्भीक उड़कर 
सारा सुख पा लेती हूँ,
नभमंडल पर विचरती चंचल पंख फैलाये
भूलकर सीमाएँ
कल्पवृक्ष पर लगे मधुर पल चखती
सितारों के वन में भटकती
अमृत-घट की एक बूँद की लालसा में
तपती मरुभूमि में अनवरत,
दिव्य-गान हृदय के भावों का सुनती
विभोर सुधी बिसराये
घुलकर चाँदनी की रजत रश्मियों में
एकाकार हो जाती हूँ
तन-मन के बंधनों से मुक्त निमग्न 
सोमरस के मधुमय घूँट पी
कड़वे क्षणों को विस्मृत कर
चाहती हूँ अपने
एकांत के इस उत्सव में
तुम्हारी स्मृतियों का
चिर स्पंदन।
-श्वेता सिन्हा

8 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-01-2019) को "घूम रहा है चक्र" (चर्चा अंक-3211) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. प्राकृति के अनमोल खजाने से मोती चुन कर
    शब्दों और मन के गहरे एहसासों में बुन कर ....
    इस कमाल की रचना का सृजन किसी अनजान की स्मृतियों से स्पंदन से ही हुआ है जैसे ... सुन्दर ...

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  4. कहीं फैली निराशा, कहीं अन्धकार,
    कहीं कोई सिसकी, कहीं चीत्कार !
    शब्दों के मोती, भावों के हार,
    नित नया श्वेता का, काव्य-उपहार !

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  5. वाह श्वेता आज भी जब ऐसी रचनाएं पढने को मिलती है तो यूं ही लगता है जैसे कोई तारा पथ भूल कर आ गया है साहित्य व्योम पर, आलोकित करने काव्य की धूमिल होते प्रकाश को।
    आल्हादित करती आलौकिक रचना।
    और शब्द नही है मैरे पास बस समझ लेना ।

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  6. लाज़वाब भाव और ख़ूबसूरत शब्द चित्र ...

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  7. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ये उन दिनों की बात है : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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