Monday, January 14, 2019

वो आकर्षण.......संजय भास्कर

कॉलेज को छोड़े करीब 
नौ साल बीत गये !
मगर आज उसे जब नौ साल बाद 
देखा तो 
देखता ही रह गया !
वो आकर्षण जिसे देख मैं 
हमेशा उसकी और
खिचा चला जाता था !
आज वो पहले से भी ज्यादा 
खूबसूरत लग रही थी 
पर मुझे विश्वास नहीं 
हो रहा था !
की वो मुझे देखते ही 
पहचान लेगी !
पर आज कई सालो बाद 
उसे देखना 
बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा 
मेरी आत्मा के सबसे करीब ........!!
- संजय भास्कर  

20 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना

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  2. विचरण करते ख्याल कब जवाँ हुए, पता ही नहीं चला, देखा फिर से आपको, खुद से हुआ गिला।
    👌👌👌

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  3. बहुत सुन्दर 👌
    सादर

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  5. बेहद खूबसूरत भाव विभोर करती सृजनात्मकता । विगत से जुड़े प्रसंग पुनः सामने प्रकट हो तो अहसास अविस्मरणीय होते हैं ।

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  6. बड़ा दर्द छुपा हुआ है संजय भास्कर जी आपकी कविता में !
    गोद में प्यारा सा बच्चा लिए पूर्व-प्रेमिका आपको आकर्षक लगी, इस से अधिक दरियादिली और किसकी हो सकती है?
    वैसे आपकी कविता पढ़कर मुकेश का एक पुराना गाना याद आ गया -
    'दिल जलता है तो जलने दे ---'

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    1. आदरणीय ये बच्चा कहाँ से बीच में लेकर आ गये आप?

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    2. सुशील बाबू, 9 साल बाद भी मिलेगी तो क्या उनका इंतज़ार करती हुई ही मिलेगी?

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    3. आदरणीय गोपेश जी, आपकी बातें सुनकर मेरी हंसी नहीं थमती। एक कवि ने आपको दर्देदिल सुनाया और आपने यहाँ भी हास्य रस की गंगा बहा दी। वाह कविवर !!आपकी कल्पना की उड़ान की कोई सीमा नहीं!!

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  7. सभी पहले यशोदा दी आपका बहुत आभारी हूँ...
    इस साल के शुरुआती पहले त्योंहार के दिन मेरी धरोहर ब्लॉग पर शामिल होना संजय भास्कर के लिए मूल्‍यवान हैं, मेरा आभार भी स्‍वीकारें....
    मेरी और से परिवार सहित
    मकर संक्रांति की शुभकामनाये !!

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  8. बहुत सुन्दर भाव सुन्दर रचना।

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  9. वाह!!संजय जी ,बहुत ही खूबसूरत रचना !

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  10. बहुत ही ख़ूबसूरत रचना आदरणीय संजय जी... वाह

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-01-2019) को "कुछ अर्ज़ियाँ" (चर्चा अंक-3210) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    उत्तरायणी की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  12. कम ही कविताएं होती हैं जिसके शब्दों को पढ़कर पढ़ने वाला उन शब्दों से अपने आप को जोड़ लेता है। उन्हीं में से एक कविता ये भी है। साधुवाद संजय भास्कर जी .....सृजन जारी रखिये

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  13. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 17 जनवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1280 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  14. बहुत सुंदर भाव,यादें कहाँ बूढ़ी होती हैं।

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  15. लेखन से पाठक खुद को जोड़ने लगे, लेखक की जाँच-पड़ताल शुरू हो जाये समझलो सार्थक लेखन
    सस्नेहाशीष

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  16. प्रिय संजय जी, जब किसी से सघन अनुराग व गहन आत्मीयता हो तो वो इंसान हर हाल में खूबसूरत लगताहै। अत्यंत दिल से लिखी गई भावपूर्ण रचना। हर्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

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