तुमसे जो मुंह फेरेगा तो किधर जाएगा ।
संभालता रहा खुद को भागती दुनिया में,
गिर गया तो फिर किसको नज़र आएगा ।
बेबसी जब भी पूछती मेरा हाल धीमे से,
सोचता कुछ कहा तो बन ज़हर जाएगा ।
बुत बना रहा वो हादसों को देखकर जब,
कहा लोगो ने इसतरह तो ये मर जाएगा ।
गुनाहों की जो लोग माफ़ी भी नहीं मांगते,
अगर लोग मरते हैं, मरने दो उनको,
ReplyDeleteगया उसका क्या, जो वो, आहें भरेगा?
गुनाहों की माफ़ी न मांगे कभी जो,
सियासत में वो, लम्बी राहें भरेगा.
वाह
ReplyDeleteमन के भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-01-2019) को "अजब गजब मान्यताएंँ" (चर्चा अंक-3222) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
उत्तरायणी-लोहड़ी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत आभार आप सभी का ...
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