Friday, April 6, 2018

आँख उनसे मिली तो सजल हो गई....डॉ० (श्रीमती) तारा सिंह

आँख उनसे मिली तो सजल हो गई
प्यार बढ़ने लगा तो ग़ज़ल हो गई 

रोज़ कहते हैं आऊँगा आते नहीं
उनके आने की सुनके विकल हो गई 

ख़्वाब में वो जब मेरे करीब आ गये
ख़्वाब में छू लिया तो कँवल हो गई 

फिर मोहब्बत की तोहमत मुझ पै लगी
मुझको ऐसा लगा बेदख़ल हो गई 

वक्त का आईना है लबों के सिफ़र
लब पै मैं आई तो गंगाजल हो गई 

'तारा' की शाइरी किसी का दिल हो गई
ख़ुशबुओं से तर हर्फ़ फ़सल हो गई 
-डॉ० (श्रीमती) तारा सिंह

8 comments:

  1. वाह वाह आफरीन तारा जी आफरीन
    👌👌👌👌👌👌👌👌👌
    खुशबू से तर हर्फ़ फसल हो गई
    भीनी भीनी सी महकी गजल हो गई !

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  2. वाह....
    आँख उनसे मिली तो सजल हो गई
    प्यार बढ़ने लगा तो ग़ज़ल हो गई

    रोज़ कहते हैं आऊँगा आते नहीं
    उनके आने की सुनके विकल हो गई
    बेहतरीन गजल....

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-04-2017) को "झटका और हलाल... " (चर्चा अंक-2933) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत सुन्दर रचना

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  5. बेहद सुन्दर

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  6. बेहद सु्न्दर

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  7. बहुत सुंदर

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