कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा
शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर कभी ना डर
उड़ाके दुश्मनों का सर, जोशे-वतन बढ़ाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...
हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...
चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशां सम्भाल के
लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा
कदम कदम बढ़ाये जा...
-राम सिंह ठाकुर
सेना का बैण्ड बजता हुआ याद आ गया। सुन्दर।
ReplyDeleteसुप्रभात!
ReplyDeleteवाह!! क्या कहने वो स्कूल वाली फिलिंग आ गई, जब सप्ताह मे एक दिन देशभक्ति की कविता गाते थे जिनमे ये बार बार गाई जाती थी जोश मे और लगता था हम कहीं देश के लिये कुछ कर रहे हैं, वो जज्बा आज भी नही भुलते जब और कोई समस्या नही थी, बस देशभक्ति सर्वोपरी थी ।
शानदार पोस्ट।
बढ़िया प्रस्तुति ...
ReplyDeleteवाह!!सुंंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.04.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2945 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 19 अप्रैल 2018 को प्रकाशनार्थ 1007 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
वाह
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