जो तैश में कर दे तर्रार,
वो है इंतज़ार!
गर आने वाल हो महबूब...
तो सुहाता है इंतज़ार!!
तन्हाई में भी अक्स उसी का,
दिखलाता है इंतज़ार।
क्या होगा जब मिलेगी नज़र,
सोचवाता है इंतज़ार।
पहला जुमला प्यार का
कहलाता है इंतज़ार।
क्या रंग पहना होगा उसने,
झलक दिखलाता है इंतज़ार।
किस इत्र का भाग्य जागा होगा आज,
ये महकाता है इंतज़ार।
लबों की भीगी नमी का अहसास,
कराता है इंतज़ार।
-अमित शर्मा
बहुत शानदार रचना।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01.05.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2957 में दिया जाएगा
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
भीगी नमी का अहसास कराता हुआ .....
ReplyDeleteक्या रंग पहना होगा उसने ....
ReplyDeleteकमाल कमाल वाह