Tuesday, May 1, 2018

तो डराता है इंतज़ार....अमित शर्मा

हो पल भर का विलम्ब उसके आने में,
...तो डराता है इंतज़ार।

रुस्वाई से बेवफ़ाई तक का मंज़र,
दिखलाता है इंतज़ार।

वो ना मिली तो दोजख़ का शगल,
महसूस कराता है इंतज़ार।

पर जब वो आती है,
हर शुबह काफूर कराता है इंतज़ार।

उसके आने पर जो उठी है महक,
उसका हकदार है इंतज़ार।

बार-बार जो होता है मोहब्बत का इक़रार
उसके पीछे भी है वो लम्बा इंतज़ार।

इंतज़ार के इस काफिए में
जो छिपा है वो है प्यार!

इंतज़ार की बेचैनी जो मिटा दे
वो है प्यार!

इंतज़ार के इम्तेहान को सिखा दे
वो है प्यार!

इंतज़ार का भी इंतज़ार करा दे
वो है प्यार!

इंतज़ार से भी मोहब्बत करा दे
वो है प्यार!

इंतज़ार में जीना सिखा दे
वो है प्यार!
-अमित शर्मा

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-05-2018) को

    "रूप पुराना लगता है" (चर्चा अंक-2958))
    पर भी होगी।

    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    --

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    सादर...!

    राधा तिवारी

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  3. वाह!!बहुत खूब!!

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