Tuesday, April 17, 2018

कदम मिलाकर चलना होगा.....अटल बिहारी बाजपेयी

बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,

पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,

निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रुदन में, तूफानों में,
अमर असंख्यक बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा!

कदम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कछार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को दलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अमर ध्‍येय पथ,
प्रगति चिरन्तन कैसा इति अथ,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

कुश कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वञ्चित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुवन,
पर-ह‍ति अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।
-अटल बिहारी बाजपेयी

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-04-2017) को "सबसे बड़े मुद्दा हमारे न्यूज़ चैनल्स" (चर्चा अंक-2944) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर रचना है

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  3. बहुत सुन्दर रचना
    नमन आप की लेखनी को

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