मेरी धरोहर..चुनिन्दा रचनाओं का संग्रह
Monday, May 8, 2017
रिश्ता...ओम नागर
मनुष्य ने
जब -जब भी काटी
जंगल की देह
तब -तब
जीना हुआ दूभर
ज्यों रेगिस्तान
पसर गया
साँसों की संभावनाओं पर।
-ओम नागर
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
May 8, 2017 at 8:12 PM
वाह।
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वाह।
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