Monday, May 8, 2017

रिश्ता...ओम नागर










मनुष्य ने
जब -जब भी काटी
जंगल की देह

तब -तब
जीना हुआ दूभर

ज्यों रेगिस्तान
पसर गया
साँसों की संभावनाओं पर।
-ओम नागर

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