रेशमाबाई.............डॉ. भावना
रेशमाबाई
सिर्फ एक नाम नहीं
रेडलाइट एरिया की औरत की
यह पहचान है
पुरूष की पाशविक प्रवृति की
औरत की लाचारी
भूख की अकुलाहट
अशिक्षा रूपी अंधकार
बेकार हाथ
जब तक नहीं रौंदते किसी को
तब तक कोई रेशमा
नहीं बनती "रेशमा बाई"
- डॉ. भावना
मुजफ्फरपुर, बिहार.
रेशमी सपनो के रेशे दर रेशे
ReplyDeleteलूटते नोचते नाचते पेशे
पायल के रुनझुन रोदन
और वासना के वीभत्स क्रंदन
की कराहती मुस्कान
और निर्लज्ज नर पशुओं
के पाखंडी समाज की
दर्द ए दास्तान है
रेशमबाई!
..........समाज की सच्चाई को उँगली दिखाने के लिए बधाई!!!
बिल्कुल ठीक कहा आपने
ReplyDeleteEk sachchai
ReplyDeleteसटीक।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरूवार (01-06-2017) को
ReplyDelete"देखो मेरा पागलपन" (चर्चा अंक-2637)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर....
Deleteसटीक..