जमाने को भी ये खबर हो गया है
मुहब्बत तो तनहा सफर हो गया है
ना तो दिन ढलते हैं ना ही रातें गुजरती
जुदाई का ऐसा असर हो गया है
जहाँ ख्वाबों का मेला लगता था हर पल
शहर दिल का वो दरबदर हो गया है
उसे चाहा था हमने साँसों की तरह
किसी और का वो मगर हो गया है
-विशाल मौर्य विशु
वाह, बहुत खूब
ReplyDeleteKya baat hai ...supper
ReplyDeleteसुन्दर।
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