Tuesday, May 16, 2017

चाहा था हमने साँसों की तरह....विशाल मौर्य विशु


जमाने को भी ये खबर हो गया है
मुहब्बत तो तनहा सफर हो गया है

ना तो दिन ढलते हैं ना ही रातें गुजरती
जुदाई का  ऐसा  असर  हो गया है

जहाँ ख्वाबों का मेला लगता था हर पल
शहर दिल  का वो  दरबदर हो गया है

उसे चाहा था हमने साँसों की तरह
किसी और का वो मगर हो गया है
-विशाल मौर्य विशु

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