दुआ के बदले में लोगों की बद दुआ लेकर
निकल पड़े हैं सफ़र में न जाने क्या लेकर
सवाल ये है कि मिलने के बाद भी देखो
सिसक रहे हैं वो यादों का सिलसिला लेकर
किसी भी घर में मुहब्बत हमें नहीं मिलती
भटक रहे हैं अदावत का फासला लेकर
वफ़ा खुसूस मुहब्बत ये खो गए हैं कहाँ
तलाश आज भी करते हैं हम दिया लेकर
कि जिसका चेहरा मुकम्मल न हो सका अबतक
मेरी तलाश में निकला है आईना लेकर
- अनिरुद्ध सिन्हा
गुलज़ार पोखर, मुंगेर (बिहार)811201
Email-anirudhsinhamunger@gmail.com
Mobile-09430450098
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteवाह. बहुत खूब
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