Tuesday, May 2, 2017

रिश्तों के पुल.....गिरिजा अरोड़ा










आँखों के समंदर में
विश्वास कीगहराई से
बन जाते हैं
रिश्तों के पुल

दिलों का आवागमन
जज़्बातों का आदान प्रदान
कराते हैं
रिश्तों के पुल

दायरे होते हैं इनके
बंधनों की रेलिंगे लगाते हैं
रिश्तों के पुल

वॉरंटी दिखती नहीं
पर प्यार का भार 
जन्म भर उठाते हैं
रिश्तों के पुल

चेतावनी भी नहीं दिखती
अहं की हल्की सी ठोकर से
काँच से चटक जाते हैं
रिश्तों के पुल
-गिरिजा अरोड़ा

5 comments:

  1. अहं की हल्की सी ठोकर से
    काँच से चटक जाते हैं
    रिश्तों के पुल

    बिल्कुल सही।।।।

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  2. रिश्तों में कई रिश्ते बंधे होते हैं एक खुलता है ,दूसरा संभालता है ,सुन्दर रचना आभार।

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  3. बहुत सुन्दर रचना..
    वाह!!!

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  4. 👌👌👌👌👌👌
    बहुत खुब
    रिश्ते तो मिठास से रहते है।

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