Monday, May 15, 2017

सारा मकां सोया पड़ा है.....आबिद आलमी


वो जिन्हें हर राह ने ठुकरा दिया है,
मंज़िलों को ग़म उन्हीं को खा रहा है

मेरा दिल है देखने की चीज़ लेकिन
इस को छूना मत कि यह टूटा हुआ है

अजनबी बन कर वो मिलता है उन्हीं से
जिन को वो अच्छी तरह पहचानता है

चीखती थी ईंट एक इक जिसकी कल तक
आज वो सारा मकां सोया पड़ा है

क्या अलामत है किसी क़ब्ज़े की 'आबिद'
ये जो मेरे घर पे कुछ लिखा हुआ है
रामनाथ चसवाल (आबिद आलमी)

श्री राम नाथ चसवाल को 
उर्दू साहित्य में 
'आबिद आलमी' के नाम से जाना जाता है।

6 comments:

  1. वाह ! लाजवाब ! बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  2. दिनांक 16/05/2017 को...
    आप की रचना का लिंक होगा...
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
    आप की प्रतीक्षा रहेगी...

    ReplyDelete
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-05-2017) को
    टेलीफोन की जुबानी, शीला, रूपा उर्फ रामूड़ी की कहानी; चर्चामंच 2632
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  4. वाह ... बहुत लाजवाब शेर हैं सभी ... मज़ा आ गाय

    ReplyDelete