Wednesday, May 24, 2017

राजनीतिज्ञ..........राम कृष्ण खुराना

प्राचीन काल में एक जंगल में एक शेर राज्य किया करता था। उसके तीन मंत्री थे। बन्दर, भालू और खरगोश। दरबार लगा हुआ था। तीनों मंत्री राजा के इर्द-गिर्द बैठे हुए थे। अचानक शेर ने जुम्हाई लेने के लिए
मुँह खोला तो उसके पास ही बैठा भालू बोल पड़ा – "जहांपनाह, आप रोज़ सुबह उठ कर टुथ-पेस्ट अवश्य किया करें। आपके मुँह से बदबू आती है।"
शेर का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। वह गरज कर बोला –
 "यू ब्लडी। तेरी यह मज़ाल?" शेर ने एक झपटा मारा और भालू को खा गया।
दूसरे दिन जब शेर दरबार में आया तो उसने बन्दर से पूछा – 
"मंत्री जी, बताईये हमारे मुँह से कैसी गन्ध आ रही है?"
बन्दर ने भालू का अंत अपनी नंगी आँखों से देखा था। वह हाथ जोड़ कर बोला – वल्लाह जहांपनाह। क्या बात है? आप हँसते हैं तो फूल गिरते हैं। जब आप बोलते हैं तो मोती झड़ते हैं। आपके मुँह से इलायची की ख़ुशबू आती…!"
"शट-अप," शेर ने बन्दर को अपनी बात पूरी करने का अवसर भी न दिया। वह बोला- "हम जंगल के राजा हैं। रोज़ कई जानवरों को मार कर खाते हैं। हमारे मुँह से इलायची की ख़ुशबू कैसे आ सकती है? तुम झूठ बोलते हो।" इतना कहकर शेर बन्दर को भी हज़म कर गया।
तीसरे दिन शेर ने अपने तीसरे मंत्री खरगोश से भी वही सवाल किया।
खरगोश दोनों का हश्र देख चुका था। वह हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया। एक क़दम पीछे हट कर, सिर झुका कर बोला – 
"गुस्ताखी माफ़ हो सरकार। मुझे आजकल ज़ुकाम लगा हुआ है। जिसके कारण मैं आपके प्रश्न का उत्तर दे पाने में असमर्थ हूँ।"
शेर कुछ नहीं बोला।
खरगोश राजनीतिज्ञ था।
-राम कृष्ण खुराना
डेल्टा, (ब्रिटिश कोलंबिया) कैनेडा

3 comments:

  1. "Politics is the last refuge of scoundrels" अपनी जान बचाने के लिए लोग राजनीतिज्ञ हो जाते हैं । छोटी कहानी में बड़ा संदेश । बहुत खूब ।

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2636 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

    ReplyDelete