उम्र के बोझिल पड़ाव पर
जीवन की बैलगाड़ी पर सवार
मंथर गति से हिलती देह
बैलों के गलेे से बंधा टुन-टुन
की आवाज़ में लटपटाया हुआ मन
अनायास ही एक शाम
चाँदनी से भीगे
गुलाबी कमल सरीखी
नाजुक पंखुड़ियों-सी चकई को देख
हिय की उठी हिलोर में डूब गया
कुंवारे हृदय के
प्रथम प्रेम की अनुभूति से बौराया
पीठ पर सनसनाता एहसास बाँधे
देर तक सिहरता रहा तन
मासूम हृदय की हर साँस में
प्रेम रस के मदभरे प्याले की घूँट भरता रहा
मदमाती पलकें झुकाये
भावों के समुंदर में बहती चकई
चकवा के पवित्र सुगंध से विह्वल
विवश मर्यादा की बेड़ी पहने
अनकहे शब्दों की तरंगों से आलोड़ित
मन के कोटर के कंपकंपाते बक्से के
भीतर ही भीतर
गूलर की कलियों-सी प्रस्फुटित प्रेम पुष्प
छुपाती रही
तन के स्फुरण से अबोध
दो प्यासे मन का अलौकिक मिलन
आवारा बादलों की तरह
अठखेलियाँ करते निर्जन गगन में
संवेदनाओं के रथ पर आरुढ़
प्रेम की नयी ऋचाएँ गढ़ते रहे
स्वप्नों के तिलिस्म से भरा अनकहा प्रेम
यर्थाथ के खुरदरे धरातल को छूकर भी
विलग न हो सका
भावों को कचरकर देहरी के पाँव तले
लहुलुहान होकर भी
विरह की हूक दबाये
अविस्मरणीय क्षणों की
टीसती अनुभूतियों को
अनसुलझे प्रश्नों के कैक्टस को अनदेखा कर
नियति मानकर श्रद्धा से
पूजा करेगे आजीवन
प्रेम की अधूरी कहानी की
पूर्ण अनुभूतियों को।
-श्वेता सिन्हा
सुन्दर भाव
ReplyDeleteअद्भुत. खूबसूरत रचना श्वेता जी
ReplyDeleteप्रेम तो पूरा होता है,ऐसा प्रेम कि प्रेम कहें जिसे।
ReplyDeleteलेकिन मिलन अधूरा रह जाता है।
उस जैसा फिर कभी न होगा
वो अनुभूतियां फिर न होगी।
सुंदर रचना श्वेता जी
विलक्षण प्रेम संगीत, या अनुरागी चित की गति, सब कुछ समर्पित
ReplyDeleteकितनी विहलता सब कुछ बस केन्द्रित एक ही धुरी पर,
सुंदरतम रचना नजाकत से भरी मद्धरिम पूर्वईया सी सम्मोहित करती सी।
बधाई श्वेता इस रस संगीत की।
अनुपम अद्भुत अद्वितीय।।।
अति सुन्दर सम्वेदनशील .सिरहाता कभी लजाता रोम रोम मैं नेह जगाता लेखन प्रिय श्वेता ये पद्य मई कहानी दिल को लुभा गई ! अधूरी ही सही पर अनुभूति पूरी दे गई !
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (09-05-2018) को "जिन्ना का जिन्न" (चर्चा अंक-2965) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जीवन का गणित - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteलाजवाब शब्द चयन .....हृदयस्पर्शी
ReplyDeleteवाआआह अनुपम सृजन
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