Thursday, July 30, 2020

चाँद रोता रहा ...प्रीती श्री वास्तव

212 212 212 212
तेरे दीदार को दिल मचलता रहा।
आँख भरती रही अश्क गिरता रहा।।

तू न आया इन्तजार के बाद भी।
याद आती रही जख्म रिसता रहा।।

दर्द कुछ इस कदर बढ़ गया इश्क में।
चोट लगती रही लब ये हंसता रहा।।

जब भी ख्यालों में आया मेरे तू सनम।
सांस रुकती रही दिल धड़कता रहा।।

नाम लिख लिख के जागा किये रात भर।
रात ढलती रही चाँद रोता रहा।।
- प्रीती श्री वास्तव

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर

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  2. बेहतरीन रचना । सराहनीय प्रस्तुति । हार्दिक आभार ।

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  3. सुन्दर और सराहनीय बेहतरीन प्रस्तुति

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