मौसम पर मन का कोई अधिकार नहीं
बादल हैं पर बारिश के आसार नहीं
बस्ती में कुछ लोग न मारे जाते हों
याद हमें ऐसा कोई त्यौहार नहीं
प्यार-मोहब्बत सीधे-सादे रस्ते हैं
कोई इन पर चलने को तैयार नहीं
सब मन की कमजोरी होती है वरना
गिर न सके ऐसी कोई दीवार नहीं
लोगों से उम्मीद नहीं सच बोलेंगे
सच सुनने को जब कोई तैयार नहीं
हार उसूलों की की ख़ातिर तो है मंजूर
जीत हमें पर शर्तों पर स्वीकार नहीं
जाने क्यूं अब श़ायर के होंठों पर भी
दिल को छू लेने वाले अश़आर नहीं
-अशोक रावत
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 21 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन।
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