Friday, July 3, 2020

कितना सीधा सच्चा है दिल ...मारूफ आलम

किसी को दिल के ज्यादा पास नहीं रखता 
मैं समंदर हूँ कभी अधूरी प्यास नहीं रखता

सफर में साथ आओ तो हमेशा याद रखना
मेरे हमराही मैं किसी को खास नहीं रखता

वैसे काफिले के हर शख्स से उम्मीदें हैं मेरी
मगर मरदूदों से मदद की आस नहीं रखता

यही तो एक फायदा है दिल में बसने वालों का
जो दिल में रहते हैं दिल उन्हें उदास नहीं रखता

कितना सीधा सच्चा है दिल खामोश रहता है
घुटता रहता है पागल कोई बात नहीं रखता

तेरी मर्जी है दोस्त गर तू भूल चुका है मुझको
भूलने वाले मैं भी किसी को याद नहीं रखता
- मारूफ आलम

1 comment:

  1. तेरी मर्जी है दोस्त गर तू भूल चुका है मुझको
    भूलने वाले मैं भी किसी को याद नहीं रखता
    वाह! बहुत उम्दा!!!

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