Sunday, July 19, 2020

यूँ उम्र गुज़र जाए न ...डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी

221 1221 1221 122

कुछ वक्त मेरे साथ बिताने के लिए आ।
तू शमअ सरे बज़्म जलाने के लिए आ ।।

दिल पर किसी के राज चलाने के लिए आ ।
ऐ दोस्त नई मंजिलें पाने के लिए आ।।

यूँ छुप छुपा के देख रहा है तुझे ये कौन ।
शर्मो हया का पर्दा हटाने के लिए आ।।

अफ़सोस है कि आज परिंदे हैं गिरफ़्तार ।
सय्याद पे तू तीर चलाने के लिए आ ।।

माना कि तेरे साथ जमाने की दुआ है ।
दामन से मेरे दाग़ मिटाने के लिए आ ।।

टूटे न मुहब्बत का भरम तुझ से किसी का ।
इक बार ज़माने को दिखाने के लिए आ ।।

रूठा है कोई मुद्दतों के बाद भी अब तक ।
ऐ यार तू उल्फ़त को मनाने के लिए आ ।।

यूँ उम्र गुज़र जाए न रुसवाइयों के साथ ।
महबूब के दिल में तू समाने के लिए आ ।।

बाकी हैं मेरे हक़ के अभी और उजाले ।
ऐ चाँद यहाँ फ़र्ज़ निभाने के लिए आ ।।

-डॉ. नवीन मणि त्रिपाठी

1 comment:

  1. वाह!!!
    सचमुच संग्रहण करने योग्य..
    बहुत सुन्दर सृजन

    ReplyDelete