Wednesday, June 12, 2019

क़रार मर के मिलेगा तो मर के देखते हैं.......हुमैरा राहत

मिसाल-ए-ख़ाक कहीं पर बिखर के देखते हैं 
क़रार मर के मिलेगा तो मर के देखते हैं 

सुना है ख़्वाब मुकम्मल कभी नहीं होते 
सुना है इश्क़ ख़ता है सो कर के देखते हैं 

किसी की आँख में ढल जाता है हमारा अक्स 
जब आईने में कभी बन सँवर के देखते हैं 

हमारे इश्क़ की मीरास है बस एक ही ख़्वाब 
तो आओ हम उसे ताबीर कर के देखते हैं 

सिवाए खाक के कुछ भी नज़र नहीं आता 
ज़मीं पे जब भी सितारे उतर के देखते हैं 

यह हुक्म है कि ज़मीन-ए-'फ़राज़' मैं लिखें 
सो इस मिसाल-ए-ख़ाक कहीं पर बिखर के देखते हैं 
-हुमैरा राहत

5 comments:

  1. सुना है इश्क़ ख़ता है सो कर के देखते हैं। वाह। क्या खुब कहा है आपने। बहुत खुब। राजीव उपाध्याय

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3365 दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  3. अति सुंदर लेख

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  4. बहुत शानदार प्रस्तुति।

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